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जैन समाज... संसार का सुख समुद्र के पानी की तरह, कभी नहीं हो सकते तृप्त
1. पहले वो जो ग्रेनाइट के पत्थर के समान होते हैं, जिन पर पानी गिरता है, तो वह उसे ग्रहण नहीं करता। ऊपर ही रह जाता है। इस तरह के श्रोता...
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