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जीत हो या हार हमेशा रहो तैयार. जैन मुनि भावसागर


मध्य प्रदेश दमोह.

दिगंबर जैन नन्हे मंदिर में इन दिनों ग्रीष्म कालीन वाचना चल रही है। गुरुवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि भावसागर ने कहा कि धर्म हमेशा जीवन जीने की कला सिखाता है। पहले इंसान फिर भगवान बनाने की कला सिखाता है। आज पद के लिए सभी लालायित रहते हैं, लेकिन पद लेकर कार्य नहीं करना यह दोष है। मंदिर का पद ग्रहण करते हैं, तो कार्य जरूर करें। धर्म हमें लाइफ मैनेजमेंट सिखाता है। भारत को भारत ही कहना है, इंडिया नहीं। हिंदी भाषा हमारी मातृ भाषा है। हमें हथकरघा के अहिंसक वस्त्रों का उपयोग करना चाहिए। हथकरघा के माध्यम से हजारों बेरोजगार नवयुवकों को रोजगार मिल रहा है। बैठ कर भोजन करना ही भारतीय संस्कृति है। प्री वेडिंग यह बंद होना चाहिए। महिला संगीत में भी सुधार होना चाहिए। मेरा विश्वास है कि आप महामंत्र की माला फेरे आप की सभी बीमारियां, परेशानियां दूर हो सकती हैं। आप धर्म पर आस्था, विश्वास रखेंगे तो सब कुछ ठीक हो सकता है। आप अमेरिका भी चले जाएं तो भी ठीक नहीं हो सकते हैं, लेकिन भगवान की भक्ति से सब कुछ ठीक हो सकता है। मुनि ने कहा कि अधम प्रकृति के लोग विघ्नों के भय से निश्चित ही किसी कार्य को प्रारंभ ही नहीं करते। मध्यम कोटि के मनुष्य विघ्नों के आने पर प्रारंभ किए कार्यों को बीच में छोड़ देते हैं। उत्तम प्रकृति के मनुष्य बार-बार विघ्न आने पर भी प्रारंभ किए हुए कार्य को नहीं छोड़ते हैं। अर्थात उसे पूरा ही करते हैं। जीत हो या हार हमेशा रहो तैयार। अच्छे कार्यों में विघ्न ज्यादा आते हैं, लेकिन हम सभी मिल कर कार्य करें तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है।

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