top of page
Search

तप व साधना को देखकर देवता भी नतमस्तक होते हैं : आचार्य पुष्पदंतसागरजी


जैन धर्म में पद से ज्यादा महत्वपूर्ण तप व साधना हुआ करती है। जिसे देखकर मनुष्य क्या देवता भी नतमस्तक होते हैं। मुनिश्री प्रसन्नसागरजी की पारण कराकर अति प्रसन्नता और आनंद की अनुभूति कर रहा हूं। वस्त्र जब गंदा होता है साबुन का स्पर्श होते ही साफ हो जाता है। उसी तरह आप तप, त्याग, उपवास के स्पर्श से अपना शरीर धोले तो आत्मा निर्मल हो जाएगी।

ये बातें पुष्पगिरि तीर्थ पर आचार्य पुष्पदंतसागरजी ने कही। वे अपने शिष्य प्रसन्नसागरजी की 35 दिवसीय बिना अन्न-जल उपवास व मौन एकांतवास के विसर्जन के दौरान आयोजित महापारणा महोत्सव में उपस्थित भक्तों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा जो दीक्षा मैंने प्रसन्नसागर को दी थी उस दीक्षा का सौंदर्य आप सबके सामने बैठा है। मेरा बस चले तो तुम्हे कांधे पर बैठा कर ले जाऊं। क्योंकि तुम्हारी तपस्या तीर्थंकरों के पदचिन्हों की ओर अग्रसर है। प्रसन्नसागरजी को देखकर लगता है कि अब मैं भी इतने उपवास कर साधना करूं।

आचार्यश्री ने करवाया शिष्य प्रसन्नसागरजी का पारणा

आचार्य पुष्पदंतसागरजी ने मुनिश्री प्रसन्नसागरजी के उपवास व मौन साधना की पूर्णाहुति की। जिनका पारणा स्वयं उनके गुरु आचार्यश्री ने पुष्पगिरि तीर्थ के पद्मश्री सभागार में सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में कराया। पारणा से पूर्व देशभर में आए भक्तों ने गुरु संघ के साथ शोभायात्रा निकाली। जयकारों के साथ साधना के बाद प्रथम दर्शन किए। पंजाब के 16 सदस्यीय बैंड के साथ श्रद्धालुओं ने नाचते-गाते तपाचार्य व संघ को सभा मंडप तक ले गए। वहां सर्वप्रथम मनीष सपना गोधा इंदौर ने ध्वजारोहण किया। पादप्रक्षालन गुरुभक्त परिवार ने किया।

Recent Posts

See All

4 Digambar Diksha at Hiran Magri Sector - Udaipur

उदयपुर - राजस्थान आदिनाथ दिगम्बर चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 15 अगस्त को आचार्य वैराग्यनंदी व आचार्य सुंदर सागर महाराज के सानिध्य में हिरन मगरी सेक्टर 11 स्थित संभवनाथ कॉम्पलेक्स भव्य जेनेश्वरी दीक्षा समार

bottom of page