कोयम्बत्तूर.
आचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि पृथ्वी पर तीर्थंकर परमात्मा का अस्तित्व अल्पकाल के लिए होता है लेकिन उनके आलंबन से आत्म कल्याण कर मोक्ष में जाने वाली आत्माओं की संख्या कहीं अधिक होती है। तीर्थ के आलंबन से आत्माएं मोक्ष में जाती हैं। तीर्थ का आलंबन सदा के लिए होता है।
आचार्य ने सोमवार को राजस्थानी संघ भवन में चल रहे चातुर्मास के दौरान धर्मसभा में यह बात कही। उन्होंने कहा कि सौराष्ट्र की भूमि पर शत्रुंजय व गिरनार तीर्थ महत्वपूर्ण है। यहां के स्पर्श मात्र से आत्माएं मोक्ष में गई हैं। २४ तीर्थंकरों के अधिकांश कल्याणक पूर्वोत्तर भाग में हुए हैं। 22 वें तीर्थकर नेमीनाथ के दीक्षा, केवल ज्ञान व निर्वाण कल्याणक गिरनार तीर्थ पर गए।
उन्होंने कहा कि तीर्थंकरों के जन्म आदि प्रसंगों से उनकी आराधना का आलंबन होता है। हमारा जन्म तो अधोपतन व संसार वृद्धि के लिए है। जबकि तीर्थकंरों का जन्म उनके जन्म का अंत करने वाला अर्थात उनकी आराधना से जन्मों का अंत हो जाता है। उन्होंने कहा कि नेमीनाथ भगवान की आत्मा ने पर्व के के नवें भव में धन कुमार की अवस्था में साधु की सेवा कर सम्यक दर्शन प्राप्त किया। तीसरे भव में शंख चक्रवर्ती की अवस्था में संयम जीवन स्वीकार किया। संयम की कठोर साधना के साथ अरिहंत आदि २० स्थानकों की आदि की आराधना कर तीर्थंकरों का बंध किया। उन्होंने बताया कि वहां से अपराजित देव विमान से निर्लेप भाव से व्यतीत कर शौरीपुरी के राजा समुद्र विजय की रानी शिवा देवी के यहां अवतरित हुए। तब प्रभु की माता ने १४ महास्वपन के दर्शन किए। श्रावण मास की पंचमी को 22 वें तीर्थंकर नेमीनाथ का जन्म हुआ। प्रभु के जन्म पर इंद्र ने मेरु पर्वत पर व पिता समुद्र विजय ने नगर में प्रभु का जन्मोत्सव में मनाया था।
उन्होंने बताया कि अंतिम जन्म में 300 वर्ष संसार में बिताए।गिरनार तीर्थ भूमि पर 1000 राजकुमारों के साथ संयम व्रत स्वीकार किया। 54 दिनों बाद केवल ज्ञान प्राप्त कर 700 वर्ष तक जीवों को बोध देकर गिरनार की भूमि पर मोक्ष प्राप्त किया। २४ वें तीर्थंकरों मेंं से आठ तीर्थंकरों के दीक्षा, केवल ज्ञान, मोक्ष व दो तीर्थंरों के मोक्ष कल्याणक भी यहीं हुए। आगे के तीर्थंकरों का भी मोक्ष कल्याणक भी यहीं होगा। तीर्थ के मूलनायक नेमीनाथ प्रभु की प्रतिमा 1, 65, 735 वर्ष न्यून20 कोडाकोडी सा्रगररोपम वर्ष पुराना है। सोमवार को नमीनाथ भगवान के जन्म कल्याणक निमित्त भाववाही स्तुतियों के माध्यम से शाश्वत तीर्थ गिरनार व नेमीनाथ तीर्थ की भावयात्रा का संगीतमय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
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