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सार की ओर प्रयाण दीक्षा के बाद स्वरूपा दीदी बनी ज्ञप्तज्ञश्री माताजी



राजस्थान - मदनगंज - किशनगढ़

गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी धर्म प्रभावना समिति के तत्वावधान एवं भारत गौरव, गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी के सान्निध्य में सोमवार को आदिनाथ कॉलोनी स्थित सूरज देवी पाटनी सभागृह में भव्य जैनेश्वरी दीक्षा का कार्यक्रम आयोजित किया गया।

माताजी ने दीक्षा देने से पूर्व दीक्षार्थी ब्रह्मचारी स्वरूपा दीदी के साथ उनके परिजनों तथा उनके पीहर व ससुराल पक्ष के जैन समाज के साथ ही स्थानीय जैन समाज एवं उपस्थित श्रावक श्राविका के पश्चात संघ की माताजी, ब्रह्मचारी भैया, दीदी से दीक्षा की स्वीकृति व साक्षी करते हुए दीक्षा की क्रियाएं प्रारंभ की। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान मुनि सुव्रतनाथ, आचार्य वर्धमान सागर महाराज एवं गणाचार्य विराग सागर महाराज के चित्र के समक्ष समाज के पदाधिकारियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन करके किया। कार्यक्रम में वर्धमान सागर पाठशाला के बच्चे एवं पुलक मंच की महिला शाखा द्वारा भक्ति नृत्य एवं लघु नाटिका की प्रस्तुति दी।

इस अवसर पर गौरव आर्यिका विज्ञाश्री माताजी ने कहा कि दीनता, दानवता और दरिद्रता से रहित होना, संयम को धारण करने का नाम दीक्षा है। दीक्षा लेना आसान है परंतु उसे निभाना उतना ही कठिन है। माताजी ने कहा कि हैंड, हेड, अाैर हैबिट को सुधारो तो सब कुछ नियंत्रण में आ जाता है। गुरु मां ने 28 मूल गुणों को पालन एवं पंच इंद्रियों विषय, भोगों, राग, द्वेश, मोह को नियंत्रण करके मन से हटाना दीक्षा धारण करना है। इस अवसर पर कंवर लाल, अशोक कुमार, विनोद पाटनी, सुभाष बड़जात्या, प्रकाशचंद गंगवाल, कैलाश पहाड़िया, ताराचंद गंगवाल, अशोक पापल्या, कैलाश पाटनी, संजय जैन, अमित बाकलीवाल, अनिल पाटनी, पदमचंद बड़जात्या सहित अनेक लोग मौजूद थे।

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