राजस्थान - भीलवाड़ा - जहाजपुर :-
मुनि विश्रांत सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में 25 से 27 अप्रैल तक श्री 1008 सुपार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर ईटुंदा में श्रीमज्जिनेंद्र आदिनाथ जैन पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव होगा। बुधवार काे मुनि ससंघ का ईटुंदा में मंगल प्रवेश हुआ महादेव मंदिर के पास मुस्लिम समाज के रफीक पठान, सदीक खान, चांद खान, सिकंदर खान आदि ने मुनि के चरण धोकर सामाजिक समरसता का परिचय दिया। मुनि ने प्रवचन में कहा कि यह गौरव की बात है कि गांव में एक जैन परिवार होने के बावजूद यहां पंच कल्याण का आयोजन हो रहा है। इस गांव के लोगों का धन्य भाग है।
आचार्य निमंत्रण, ध्वजाराेहण व श्रीजी की शाेभायात्रा आज
महोत्सव समिति अध्यक्ष कपूरचंद लुहाड़िया व ईटुंदा के पूर्व सरपंच राकेश जैन ने बताया कि 25 अप्रैल को सुबह 6 बजे जिनेंद्र अर्चना, गुरु आज्ञा, आचार्य निमंत्रण, श्रीजी की शोभायात्रा, ध्वजारोहण, मंडप शुद्धि, दीप प्रज्ज्वलन, प्रवचन, सकलीकरण इंद्र प्रतिष्ठा होगी। दोपहर 12:30 बजे से याग मंडल विधान, शाम 7 बजे आरती, शास्त्र स्वाध्याय, गर्भ कल्याण के दृश्य, इंद्रसभा, आसन कम्पायमान, नगरी रचना, सोलह स्वप्न, माता का स्नान शृंगार, नाभिराय दरबार, गोद भराई होगी। 26 व 27 अप्रैल को अलग-अलग कार्यक्रम होंगे।
अच्छे कार्य से अर्जित धन पुण्य में बदल जाता है: मुनि
जैन मुनि विश्रांत सागर ने बुधवार को ईटुंदा में मंगल प्रवेश पर धर्म सभा में कहा कि मनुष्य को जीवन में अच्छे कर्म करने चाहिए, जो आत्म कल्याण का मार्ग बन सके। प्राणी धन तो किसी भी तरह कमा सकता है, जो ज्यादा टिकता नहीं, लेकिन अच्छे कार्य से अर्जित धन पुण्य में बदल जाता है। यह मुक्ति का मार्ग खोल देता है। यही अभिलाषा हर जीव के दिल में आती है, लेकिन सोच को परिणीति में बदलना इतना आसान भी नहीं है। उन्होंने कहा कि शहरों की अपेक्षा गांवों में आज भी धर्म ज्यादा है। भागदौड़ की जिंदगी में लोग धर्म से विमुक्त रहने लगे हैं। इसलिए धर्म के प्रति जितना समर्पण रखेंगे उतना ही जीवन सुधरता जाएगा। मंगल प्रवेश पर सभी समाज के लोगों ने मुनि ससंघ की अगवानी कर पाद पक्षालन किया।
जैन मुनि ने प्रवचन में कहा कि यह गौरव की बात है कि गांव में एक जैन परिवार होने के बावजूद यहां विशाल पंच कल्याण का आयोजन हो रहा है। इस गांव के लोगों का धन्य भाग है। मुनि ने प्रवचन में रामायण का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कठोर भक्ति के कारण ही शबरी को भगवान राम प्राप्त हुए। जैन मुनि ने पंच कल्याण महोत्सव में सर्व समाज के योगदान के लिए धन्यवाद दिया।
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