मध्य प्रदेश - रतलाम :-
पद्मभूषण श्रीमद्विजय रत्न सुन्दर महाराज ने आठ दिवसीय आचार महिमा महोत्सव के प्रथम दिन कहा
क्रिकेट के खिलाड़ी को भले ही कोच तैयार करता है, लेकिन मैदान में उसे केप्टन की आज्ञा में रहना पड़ता है। इसी प्रकार बाहर हमे कोई तैयार करे, लेकिन वे हमारे कोच है। परिवार में तो मुखिया (पिता) की मर्यादा में रहना चाहिए। 52 वर्षों के दीक्षा पर्याय में गच्छाधिपति जयघोष सूरीश्वर महाराज मेरे जीवन में केप्टन बनकर बैठे है। एक प्रवचन जीवन बदल सकता है, लेकिन इतने प्रवचनों के बाद भी आपका जीवन क्यों नहीं बदला?
यह बात आचार्य श्रीमद्विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वर महाराज ने 53वे दीक्षा दिवस पर आठ दिवसीय आचार महिमा महोत्सव की शुरुवात करते हुए कही। श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ, गुजराती उपाश्रय एवं ऋषभदेव, केशरीमल जैन श्वेताम्बर पेढ़ी द्वारा रुद्राक्ष कालोनी, लक्ष्मी नगर, हरमाला रोड़ पर आयोजित महोत्सव में पहले दिन भक्ति से भरे संगीतमय माहौल में आचार्यश्री को काम्बली औढ़ाकर दीक्षा दिवस मनाया गया। आचार्यश्री ने इस मौके पर 52वर्ष पूर्व हुए जीवन परिवर्तन पर प्रकाश डालते हुए पांच सूत्रों पर अमल करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि हमारे अंदर हंगर आफ विजडम अर्थात ज्ञान की भूख होना चाहिए। इक्सिस द बेस्ट अर्थात अच्छे की पंसद हो, एक्सेप्ट ऑफ रिस्पांसबिलिटी अर्थात जिम्मेदारी स्वीकारों, रिस्पांड विथ करेज अर्थात जिम्मेदारी साहस के साथ निभाओ और थींगस ऑफ अदर्स याने दूसरे के सुख की चिंता करो। सागर से मोती लाना हो, तो उसके भीतर गहराई तक जाना पड़ता है और बिजनेस में आगे जाना हो, तो पूरा समर्पित होना पड़ता है, उसी प्रकार आत्मा के क्षेत्र में यदि जाना है, तो गहराई तक जाना पड़ेगा।
क्रोध को सेव नहीं करे आगे बढ़ाते चले
उन्होंने कहा कि लोगों में आजकल पैसा, प्रशंसा, प्रतिष्ठा की भूख होती है, लेकिन धर्म करके आत्म कल्याण की भूख नहीं होती। गंदा विचार आए तो चिंता मत करना, लेकिन मन में टिक नहीं जाए, इसका ध्यान रखना होगा। इसी प्रकार क्रोध कर लिया, लेकिन बैर नहीं पालना चाहिए। क्रोध को सेव ना करे और आगे बढ़ते चले।
आचार महिमा महोत्सव के साथ प्रदर्शनी का शुभारंभ
पद्मभूषण आचार्य श्रीमद विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वर के शिष्य रत्न पन्यास प्रवर युगसुन्दर विजय महाराज को आचार्य पद प्रदान करने के प्रसंग पर आयोजित आठ दिवसीय आचार महिमा महोत्सव रविवार को प्रारंभ हो गया। इसका मुख्य आकर्षण आचार्य के 36 गुणों को दर्शाने वाली आर्ट गैलरी है, जिसका शुभारंभ सुबह किया गया। इसका शुभारंभ आचार्यश्री की निश्रा में संपतबाई-जयंतीलाल तलेरा मिर्चीवाला परिवार ने किया। प्रदर्शनी में आचार्य के गुणों के साथ साधु जीवन एवं आचार्य के आचार को मनमोहक अंदाज में दर्शाया गया है। प्रदर्शनी 28 अप्रैल तक प्रतिदिन सुबह 10.30 से 11.30 बजे एवं शाम को 6 से 10 बजे तक खुली रहेगी। श्री संघ अध्यक्ष सुनील ललवानी, उपाध्यक्ष मुकेश जैन ने बताया कि महोत्सव के दौरान विभिन्न अनुष्ठान होंगे। 22 अप्रैल को सुबह 9 बजे रूद्राक्ष कालोनी में प्रवचन एवं रात्रि 8 बजे करमचंद उपाश्रय हनुमान रूंडी के पीछे बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक कार्यक्रम होगा। मुख्य कार्यक्रम स्थल रूद्राक्ष कालोनी में बच्चों के लिए किड्स झोन भी बनाया गया है। इसमें शाम 6 से रात्रि 10 बजे तक खेल-खेल में ज्ञान की बाते सिखाई जाएगी।
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