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नियमों से बेलगाम सोच पर लगता है अंकुश : गुरुदेव अचल मुनि

  • Writer: Jain News Views
    Jain News Views
  • Aug 13, 2019
  • 2 min read

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पंजाब - लुधियाना :

शिवपुरी जैन स्थानक में विराजमान गुरुदेव अचल मुनि म. ठाणे-5 ने आए हुए सैंकड़ों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए फरमाया कि कभी कभी नियम लेना भी सीखो। पहले के समय में लोग गुरु दर्शन करने के बाद गुरुओं से कोई न कोई नियम जरुर करते थे। कितु आज लोग नियम करने से बचते है।


कितु मन में एक प्रश्न पैदा होता है कि नियम लेने चाहिए या नहीं? इन नियमों का क्या फायदा है? नियमों को लेने से आदमी की बेलगाम सोच पर अंकुश लग जाता है। इंसान का मनोबल बढ़ता है। मन कहीं न कहीं नियंत्रण में आता है। बिना नियमों के जीवन बिना ब्रेक वाली गाड़ी के समान होता है। आप एक गाय को घर में पालते हो, खिलाते हो, पिलाते हो व उसकी देखभाल करते हो, फिर उसे खूंटे से बांधकर रखते हो क्यों? क्योंकि उसे खुला छोड़ देने से नुकसान हो सकता है। सड़कों पर जगह-2 स्पीड ब्रेकर लगाने का उद्देश्य भी यही है। कि मनमानी की स्पीड को काबू में रखा जा सकते। हमारा जीवन बेललगाम घोड़े की तरह न हो।


हमारे समाज में विवाह प्रथा चलती है। विवाह में सात फेरे लिए जाते है। इन सात फेरों का अर्थ भी सात नियमों व सात वचनों से होता है। इन सात वचनों पर नियमों पर आस्था कम हुई है। नतीजें सभी के सामने है, शादियां असफल हो रही है, तलाक के केस बढ़ रहे है। यदि नियमों पर हमारी आस्था होती तो ये नौबत आज नहीं आती।


गुरुदेव ने कहा कि संसार का सबसे कठिन काम है स्वयं को बदलना। अमीर और विद्वान होना कठिन नहीं है। कठिन है अपने मन को जीतना। अमीर होना है तो सिर्फ 5 वर्ष की साधना चाहिए। विद्वान होना है तो सिर्फ 10 वर्ष की साधना चाहिए। लेकिन यदि अपने को जीतकर महावीर जैसा होना है तो जन्म जन्मांतरों की साधना चाहिए।

 
 
 

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