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Mumukshu Rushabh Burad's Diksha on 3rd July


गीदम जिले की व्यापारिक नगरी मे तेरह वर्षीय ऋषभ बुरड़ सभी सांसारिक बन्धनों को छोड़ते हुये जैन साधु बनने जा रहा है। नगर के व्यवसायी प्रकाश बुरड़ व ममता बुरड़ का तेरह वर्षीय ऋषभ बुरड़ जैन साधु बन कर संयमित जीवन जीने के मार्ग पर निकल पड़े हैं।


जैसा कि कहा जाता है कि जैन समाज मे साधुओं का जीवन काफी तपस्या व कठिनाई से भरा होता हैं। पूरे जीवन सांसारिक मोह माया का त्याग कर जीवन यापन करना पड़ता हैं। और एक सम्पन्न परिवार के नन्हें से ऋषभ का अपने समाज व धर्म के लिये त्याग अपने आप मे अविस्मरणीय हैं।


मुमुक्षु ऋषभ के संयमित जीवन मे प्रवेश करने से पहले जैन समाज के द्वारा वरघोड़ा यात्रा निकाली गयी। यह वरघोड़ा यात्रा नगर के विभिन्न मार्गों से गुजर कर ओसवाल भवन पहुचीं जहाँ मुमुक्षु ऋषभ का सम्पूर्ण जैन समाज, स्वेताम्बर व दिगम्बर,व माहेश्वरी समाज के द्वारा अभिनंदन किया गया। व समाज की ओर से उनको अभिनंदन पत्र दिया गया। और साथ ही ऋषभ के माता – पिता व पूरे परिवार के लोगो का भी सम्मान किया गया। अब मुमुक्षु ऋषभ बैंगलोर जाये गा जहां वह आचार्य महाश्रमण जी के मुखारविंद से दीक्षा ग्रहण करेगा। और अपनी नये जीवन की शुरुआत करेगा।


आज के युग में एक छोटा सा ऋषभ जो संयमित जीवन की ओर अग्रसर हो रहा है। उनके माता – पिता भी साधुवाद के पात्र है जिन्होने बचपन से ही उसे ऐसे संस्कार दिये। हम सभी उनके साधु जीवन की मंगल कामना करते है। इन दौरान जैन समाज गीदम के सभी सदस्य महिला – पुरूष व बच्चे उपस्थित रहे।




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