'इस दुनिया की जितनी भी खुशियां हैं वो स्थायी नहीं हैं, सिर्फ साधारण जीवन जीने से ही शांति और मोक्ष मिल सकता है' यह कहना है सूरत में रहने वाली 12 साल की बच्ची खुशी का। खुशी शाह ने जिंदगी के ऐशो आराम छोड़कर जैन दीक्षा ले ली है। बुधवार 29-May को उन्हें जैन दीक्षा दिलाई गई।
खुशी के घर में वो अकेली ऐसी नहीं हैं जिसने दीक्षा ली हो। इससे पहले उनके परिवार में चार लोग भी जैन दीक्षा ले चुके हैं। खुशी बताती हैं कि जब मैं चार साल की थी तो परिवार के चार लोगों ने भी जैन दीक्षा ले ली थी।
खुशी के पिता विनीत शाह एक सरकारी कर्माचारी हैं। उनका कहना है कि यह हमारे लिए एक गर्व का विषय है। एक बार संत बन जाने के बाद वह कई लोगों के जीवन में उजाला करेगी। खुशी ने छठी क्लास में 97 फीसदी अंक मिले हैं और उसने नवंबर में स्कूल छोड़ दिया है। उनके पिता बताते हैं कि खुशी हजारों किमी अकेले पैदल चलकर पूरी कर चुकी है
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