सांसरिक वैभव त्याग, मोक्ष के लिए चल पड़ी वैराग्य की राह पर
सेवानिवृत्त शिक्षिका बीना जैन 18 को आगरा में लेंगी दीक्षा करौली. मानव जीवन केवल सुख-सुविधा और शानो-शौकत से जीने के लिए ही नहीं है, बल्कि इसका एक मकसद मोक्ष की प्राप्ति भी है। इसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सुविधा-सम्पन्न जिंदगी और परिवार का मोह त्याग वीणा जैन ने वैराग्य की राह पर चलने की ठानी है। यहां सायनाथ खिड़किया मोहल्ले की निवासी 65 वर्षीया वीणा वरिष्ठ अध्यापिका से सेवानिवृत्त हुई हैं। वे आगामी 18 जुलाई को आगरा में होने वाले दीक्षा समारोह में आचार्य चैत्यसागर महाराज से जैनेश्वरी दीक्षा लेंगी।
आगरा के दयालबाग में मां कमलादेवी-पिता स्व. जियालाल के घर जन्मीं बीना की शादी करौली में स्व. सूरजमल जैन के बड़े पुत्र कैलाश चंद जैन के साथ हुई थी। वर्तमान में उनका भरा-पूरा परिवार है। उनके चार पुत्र राकेश, मुकेश, विवेक और विकास जैन हैं जिनका अपना अलग-अलग अच्छा व्यवसाय है और भरा-पूरा परिवार है। इस सब कुछ को त्याग कर वे वैराग्य की ओर चल पड़ी हैं। राजस्थान पत्रिका संवाददाता द्वारा नवदीक्षार्थी बीना जैन से की गई बातचीत के अंश पेश हैं।
आपको वैराग्य का भाव कैसे आया। मुमुक्षु बीना: मेरे पीहर और ससुराल में शुरू से ही धार्मिक कार्यक्रमों की बाहुल्यता रही थी। जिन्हें देख मैं भी धार्मिक कार्यक्रमों की ओर अग्रसर होती चली गई। पारिवारिक माहौल के कारण ही मुझे धार्मिक कार्यक्रमों की प्रेरणा मिली। हमारे जैन धर्म में जीव का वैराग्य की ओर प्रवृत्त होकर जैनेश्वरी दीक्षा धारण करना जीवन की उत्कृष्ठ अवस्था माना गया है। इसलिए यह निर्णय किया है।
वैराग्य की राह पर चलने का निर्णय क्यों किया। मुमुक्षु बीना: मनुष्य के जीवन में चार आश्रम होते हैं। चौथा आश्रम सन्यास है। मैने सांसरिक जीवन में तीनों आश्रम अच्छे ढंग से जीते हुए उनका पालन किया है। अब बच्चे समर्थ हो गए हैं। सब कुछ आनंद हैं। ऐसे में मैने सोचा कि जीवन का शेष समय चौथे आश्रम में व्यतीत करूं। शायद मेरे जीवन का कल्याण हो जाए। इसी उद्देश्य से वैराग्य की राह पकड़ी है।
क्या गृहस्थ जीवन में रहकर मोक्ष प्राप्ति की राह संभव नहीं है। मुमुक्षु बीना: ग्रहस्थ जीवन में रहकर यह असंभव है। सांसरिक जीवन में रहते हुए संसार की बातें ही याद आती हैं। मनुष्य का ध्यान धर्म में नहीं लगता। बड़े-बड़े ऋषि मुनियों ने भी जंगल में जाकर तपस्या की है।
आपके जीवन में क्या संघर्ष रहा है। जीवन के ऐसे कौनसे पल थे, जिनमें अत्यधिक खुशी महसूस हुई। मुमुक्षु बीना: प्रत्येक मनुष्य के जीवन में संघर्ष आते हैं। मेरे जीवन में भी खूब संघर्ष आए, लेकिन कभी निराश नहीं हुई। सुख-दुख एक सिक्के के दो पहलू हैं और सुख में ज्यादा खुशी नहीं मनाई और दुख में कभी गमगीन नहीं हुई।
समाज और युवा पीढ़ी को आपका क्या संदेश है। मुमुक्षु बीना: जीवन में ईमानदारी बेहद जरुरी है। प्रत्येक व्यक्ति को इमानदारी से जीवन जीना चाहिए। मनुष्य का सबसे बड़ा कत्र्तव्य ईमानदारी है। हिंसा ना हो और हर किसी को सात्विक जीवन जीना चाहिए।
6 जुलाई को निकलेगी बिनौरी, होगी गोद भराई दीक्षा कार्यक्रम के तहत शनिवार को करौली में नवदीक्षार्थी बीना जैन की बिनौरी निकाली जाएगी। उनके पुत्र व जैन समाज के मंत्री विवेक जैन ने बताया कि दोपहर एक बजे सायनात खिड़किया बाहर मधवुन विहार कॉलोनी से बिनौरी शुरू होगी, जो दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर, भूडारा के सौगानी मंदिर होते हुए बड़ा बाजार, बजीरपुर गेट होते हुए जैन नसियाजी पहुंचेगी। जहां नवदीक्षार्थी बीना जैन की परिवारजनों, समाज एवं अन्य लोगों द्वारा गोद भराई की जाएगी। इसके बाद वे 7 जुलाई को आजीवन गृह त्याग कर देंगी।
18 जुलाई को आचार्य चैत्यसागर महाराज से आगरा में दीक्षा लेंगी।
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