top of page
Search

जन्म ही नहीं, संस्कार भी देते हैं माता-पिता

  • Writer: Jain News Views
    Jain News Views
  • Jul 29, 2019
  • 2 min read


कोयम्बत्तूूर. आचार्य विजयरत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि माता-पिता सिर्फ जन्म ही नहीं, संस्कार भी देते हैं। जन्मा हुआ बालक पशुवत अज्ञानी होता है। उसके दो ही काम होते हैं। खाना और सो जाना। इस बालक को सज्जन मनुष्य बनाने का कार्य माता -पिता ही करते हैं।

उन्होंने रविवार राजस्थानी संघ भवन Rajasthani sangh bhawan में धर्मसभा में युवाओं के जीवन के उत्कर्ष के लिए माता-पिता के उपकार व कर्तव्य विषय पर प्रवचन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि पशु व मनुष्य में सबसे बड़ा अंतर परिवर्तन है। पशु मरण तक पशु ही रहता है लेकिन मनुष्य के जीवन में परिवर्तन आते रहते हैं। मनुष्य जीवन में शैतान, पशु, सज्जन व देवता बन सकता है।

आचार्य ने कहा कि मात्र जन्म देना व उसे भोजन उपलब्ध कराना ही पर्याप्त नहीं है, यह कार्य तो पशु-पक्षी भी करते हैं लेकिन सच्चे माता-पिता वे हैं जो संतान की आत्म हित की चिंता करते हैं। माता-पिता के उपकारों को नहीं चुकाया जा सकता। उन्होंने कहा कि कुछ संतानें माता-पिता के पास धन-वैभव होने तक उनकी सेवा करते हैं और फिर भूल जाते हैं। कुछ संतानें माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं। लेकिन, उत्तम मनुष्य जीवन पर्यंत माता-पता की सेवा करते हैं। जो व्यक्ति धन व लालच की आशा करते हैं वह पाप समान है। जिसने जीवन में माता-पिता व गुरूओं का आशीर्वाद लिया उसके सभी कार्य सरल हो जाते हैं। पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण के कारण जीवन में स्वार्थवृत्ति बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि वृद्धाश्रम भारतीय संस्कृति के लिए कलंक है। प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है कि आजीवन माता-पिता की सेवा करे तथा उनके दिए संस्कारों का प्रत्योपकार करे। प्रवचन के बाद कर्म ग्रंथ भाग एक के तीसरे संस्करण का विमोचन किया गया। इस मौके पर मांगीलाल परमार, रमेश बाफना, भाग्यवंती देवी, मीठालाल जैन, दिनेश आदि उपस्थित थे। गुलाब जैन ने सभा का संचालन किया।

 
 
 

Recent Posts

See All
4 Digambar Diksha at Hiran Magri Sector - Udaipur

उदयपुर - राजस्थान आदिनाथ दिगम्बर चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 15 अगस्त को आचार्य वैराग्यनंदी व आचार्य सुंदर सागर महाराज के सानिध्य में हिरन...

 
 
 

コメント

5つ星のうち0と評価されています。
まだ評価がありません

評価を追加

3 Simple steps to Get interesting Jain Content:

 

1.  Save +91 8286 38 3333 as JainNewsViews

2.  Whatsapp your Name, City and Panth (Derawasi, Sthanakwasi, Digambar, Terapanthi, Non-Jain)

 

3. Share with your family & friends to be a sat-Nimitt

  • Instagram
  • Facebook
  • Twitter
  • YouTube

Subscribe to Our Newsletter

bottom of page