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बाहर के बजाय अंदर के आनंद को पाने की कोशिश करें

  • Writer: Jain News Views
    Jain News Views
  • May 18, 2019
  • 2 min read

तेरापंथ धर्म संघ के प्रमुख आचार्य महाश्रमण का दीक्षा शुक्रवार को पूरे देश भर में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद की ओर से युवा दिवस के रूप में मनाया गया।

जिले के कोम्बुर स्थित सरकारी स्कूल में इस मौके पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा कि बाहर के बजाय अंदर के आनंद को पाने की कोशिश करनी चााहिए।

उन्होंने कहा कि मेरे लिए आज का दिन सोने का सूरज लेकर आया था। मुझे आज भी 45 वर्ष पहले का स्मरण हो रहा है।

मैं सौभाग्यशाली हूं मुझे संयम रत्न मिला। उन्होंने कहा कि संवत्सरी के दिन बालक मोहन ने अष्ट प्रहरी पौषध किया, गीत गाया और चिंतन मनन करते हुए साधु बनने की ठान ली। उन्होंने बताया कि उनके मन में कई दिन तक द्वंद्व चलता रहा कि गृहस्थ बनें या साधु, कष्ट तो दोनों में ही है। बाद में मन पर विजय धर्म के संस्कारों की हुई।

बाद में घर वालों को वस्तुस्थिति बताई। घर वालों की स्वीकृति के बाद दिल्ली में विराजित आचार्य तुलसी के समक्ष दीक्षा देने की स्वीकृति दे दी। दीक्षा के भाव उत्पन्न होने के साथ उन्होंने कई त्याग ग्रहण किए व उपासना में लग गए। आचार्य तुलसी कीआज्ञा से मुनि सुमेरमल स्वामी (लाडनूं ) ने मुनि दीक्षा प्रदान की। सरदार शहर में दीक्षा होने के बाद वह मुनि मुदित कुमार बन गए। मंत्री मुनि ने बालक मोहन की दीक्षा के लिए आषाढ़ मास को श्रेष्ठ समय बताया था।

आचार्य ने कहा कि धन्य हैं वे सभी को जो साधु बने हैं। हमें इस संयम रूपी रत्न की सुरक्षा करनी चाहिए। मोह के कारण कहीं इसे खो ना दें। अपने आचार, नियमों द्वारा इसकी पहरेदारी करें।

इस संयम के वृक्ष का हम स्वाध्याय, ध्यान, जप, साधना द्वारा सिंचन करें। संयम जीवन में हमेशा प्रसन्नता रहे। बाहर के आनंद की अपेक्षा भीतर के आनंद को पाने का प्रयास करें। भीतर के सुख के सामने यह सभी भौतिक सुख तुच्छ है। वैषायिक सुखों की विरति कर आत्मिक सुख को पाने का प्रयास करें। गुरुवर की सान्निधि में चतुदर्शी के अवसर पर हाजरी का भी वाचन हुआ। साध्वी प्रमुखा कनक प्रभाने आचार्य को अभ्यर्थना में वक्तव्य प्रदान किया। युवा दिवस के अवसर पर मुनि योगेश कुमार, अभातेयुप अध्यक्ष विमल कटारिया ने अपने विचार रखे।

इस अवसर पर तेयुप सदस्यों ने सामूहिक गीत का संगान किया। इससे पूर्व दीक्षा दिवस के मौके पर कई साधु व साध्वियों ने विचार व्यक्त किए और आचार्य को बधाई दी। कार्यक्रम में सेलम, बेंगलूरु, वनियमबाड़ी, गुडियातम और वेलूर से श्रावक संघ कार्यक्रम में मौजूद रहे।

 
 
 

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