top of page
Search

जुड़वां दिगंबर जैन मुनि विहार पर पहुंचे बुरहानपुर



परिपक्व हुए तो गुरु ने कहा अब विहार करें

श्रमण आस्तिक्यसागर जी ने 2011 और श्रमण प्रणीतसागरजी ने 2013 में दीक्षा ली। दोनों संत भाई सात वर्षों से साथ में हैं। वे 2018 तक गुरु के सानिध्य में रहे। परिपक्व होने पर गुरु ने उन्हें विहार करने को कहा। इसके बाद से दोनों मुनि देश भर में पैदल िवहार कर रहे हैं। महाराष्ट्र से विहार करते हुए दोनों मुनि बुरहानपुर आए हैं। उन्होंने कहा संत का अर्थ साधनों का त्याग कर साधना करना है। किसी संत से प्रभावित होकर इनका त्याग नहीं करना चाहिए। स्वप्रेरणा से ही इस मार्ग पर चलना चाहिए। संत बनने के लिए शिक्षित होना जरूरी है। अक्सर लोग कहते हैं धन-सम्मान पाने के लिए संत बनते हैं। लेकिन दिगंबर जैन संत किसी साधन का उपयोग नहीं करते। दिगंबर जैन संत एक समय भोजन-पानी ग्रहण करते हैं, पैदल विहार करते हैं7 किसी वाहन का उपयोग नहीं करते। सारे साधनों का त्याग करने पर ही साधना मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर व्यक्ति शांति और प्रेम की खोज कर रहा है। इसके लिए वह सुख-साधन एकत्र करता है। प्रेम के लिए परिजन और अन्य लोगों से मिलता है। लेकिन यह दोनों ही उसके अंदर ही है।

Recent Posts

See All

4 Digambar Diksha at Hiran Magri Sector - Udaipur

उदयपुर - राजस्थान आदिनाथ दिगम्बर चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 15 अगस्त को आचार्य वैराग्यनंदी व आचार्य सुंदर सागर महाराज के सानिध्य में हिरन...

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating

3 Simple steps to Get interesting Jain Content:

 

1.  Save +91 8286 38 3333 as JainNewsViews

2.  Whatsapp your Name, City and Panth (Derawasi, Sthanakwasi, Digambar, Terapanthi, Non-Jain)

 

3. Share with your family & friends to be a sat-Nimitt

  • Instagram
  • Facebook
  • Twitter
  • YouTube

Subscribe to Our Newsletter

bottom of page