ईरोड. दुनिया पैसे वालों को पुण्यवान मानती है लेकिन यही पैसा पाप करवाकर दुर्गति में ले जाता है। जिसे सच्चे धर्म की प्राप्ति हुई वह वास्तव में पुण्यशाली है। यह बात आचार्य रत्नसेन सूरीश्वर ने शनिवार को यहां जैन भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि धर्म आत्मा को प्रधान व शरीर को गौण बताता है। शरीर के रोग की चिंता सभी को होती है लेकिन आत्मा की बीमारी की चिंता कोई नहीं करता। आचार्य ने कहा कि जब तक आत्मा के साथ कर्म रूपी रोग हैं तब तक हमें रोगों का सामना करना पड़ेगा। एक रोग ही हमारे जीवन को विचलित कर देता है। उन्होंने कहा कि वैभव व संपत्ति के मालिक तीर्थंकर ने गृहस्थ जीवन में दुख नहीं देखा लेकिन उन्होंने भी शाश्वस्त सुख के लिए नश्वर सुखों का त्याग कर दिया। उन्होंने कहा कि आत्मा का सच्चा सुख पाने के लिए परमात्मा ने सद्धर्म का मार्ग बताया। सद्धर्म की आराधना होगी तो पाप कर्मों का क्षय होगा। मानव जो प्राप्त हुआ है उसे भूलकर जो नहीं मिला उसे पाने की कोशिश में लगा रहता है।
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