तमिलनाडु - कोयंबटूर - ईरोड
तेरापंथ धर्मसंघ के प्रमुख आचार्य महाश्रमण ने सोमवार को कहा कि वाणी पर संयम काफी आवश्यक है। प्रवचन के दौरान अमृत देशना देते हुए आचार्य ने कहा कि व्यक्ति को इन्द्रियों का संयम करना चाहिए। हाथ का उपयोग किसी को मारने में नहीं होना चाहिए बल्किउनका उपयोग किसी की सेवा और सत्कार्य में होना चाहिए। व्यक्ति हाथों का, पांवों का संयम करे। उनसे अच्छे कार्य करे। वाणी का संयम भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। मनुष्य किसी के खिलाफ अपशब्द बोलता या कटु भाषा का प्रयोग करता है, जो गलत है। हमारी वाणी किसी का कल्याण करने वाली होनी चाहिए। व्यक्ति इन्द्रियों के अनावश्यक दुरुपयोग से बचे तो वह अध्यात्म के क्षेत्र में आगे बढ सकता है। इस मौके पर मुनि ताराचंद की स्मृति सभा का भी आयोजन हुआ। मुनि का 28 अप्रेल को सरदारशहर में चैविहार संथारे में देवलोक गमन हुआ था। आचार्य ने मुनि के व्यक्तित्व के बारे में चर्चा करते हुए स्वरचित गीत का संगान किया। चतुर्विध धर्मसंघ ने उनकी स्मृति में इस अवसर पर चार लोगस्स का ध्यान किया। साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा एवं मुख्य मुनि महावीर कुमार, मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभा, साध्वी संबुद्धयशा ने विचार व्यक्त किए। ईरोड. तेरापंथ धर्मसंघ के प्रमुख आचार्य महाश्रमण ने सोमवार को कहा कि वाणी पर संयम काफी आवश्यक है। प्रवचन के दौरान अमृत देशना देते हुए आचार्य ने कहा कि व्यक्ति को इन्द्रियों का संयम करना चाहिए। हाथ का उपयोग किसी को मारने में नहीं होना चाहिए बल्किउनका उपयोग किसी की सेवा और सत्कार्य में होना चाहिए। व्यक्ति हाथों का, पांवों का संयम करे। उनसे अच्छे कार्य करे। वाणी का संयम भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। मनुष्य किसी के खिलाफ अपशब्द बोलता या कटु भाषा का प्रयोग करता है, जो गलत है। हमारी वाणी किसी का कल्याण करने वाली होनी चाहिए। व्यक्ति इन्द्रियों के अनावश्यक दुरुपयोग से बचे तो वह अध्यात्म के क्षेत्र में आगे बढ सकता है। इस मौके पर मुनि ताराचंद की स्मृति सभा का भी आयोजन हुआ। मुनि का 28 अप्रेल को सरदारशहर में चैविहार संथारे में देवलोक गमन हुआ था। आचार्य ने मुनि के व्यक्तित्व के बारे में चर्चा करते हुए स्वरचित गीत का संगान किया। चतुर्विध धर्मसंघ ने उनकी स्मृति में इस अवसर पर चार लोगस्स का ध्यान किया। साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा एवं मुख्य मुनि महावीर कुमार, मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभा, साध्वी संबुद्धयशा ने विचार व्यक्त किए।
अक्षय तृतीया व दीक्षा कार्यक्रम आचार्य के सान्निध्य में मंगलवार को अक्षय तृतीया का कार्यक्रम आयोजित होगा। ईरोड में आयोजित होने वाले वर्षीतप के पारणे में देशभर से 200 से भी अधिक तपस्वी भाग लेंगे। गौरतलब है कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभनाथ ने बारह मास की तपस्या के पश्चात अपने पौत्र राजकुमार श्रेयांस के हाथों इक्षुरस से पारणा किया था। उसके बाद से ही वर्षीतप के तहत अक्षय तृतीया के दिन पारण करते हैं। मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में ईरोड के निवासी मूलचंद पारख के पुत्र आकाश पारख आचार्य से जैन मुनि दीक्षा ग्रहण कर संयम पथ पर अग्रसर होंगे। कार्यक्रम में भाग लेने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु ईरोड पहुंचे।
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