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तीर्थकंर अध्यात्म के अधिकृत प्रवक्ता आचार्य महाश्रमण के प्रवचन

  • Writer: Jain News Views
    Jain News Views
  • Apr 20, 2019
  • 1 min read


मदुरै. जैन आचार्य महाश्रमण ने कहा कि व्यक्ति प्रवचन सुनकर कल्याण व पाप के बारे में जानता है, इसमें जो श्रेष्ठ है उसी का पालन करना चाहिए। वर्तमान में प्रवचन देने वालों की उपेक्षा होती है। धर्म के क्षेत्र में तीर्थकंर योग्य व अधिकृत प्रवचनकार होते हैं। यह बात जैन आचार्य महाश्रमण ने कही। वह मदुरै स्थित लोटस अपार्टमेंट में आयोजित धर्म सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर अध्यात्म के प्रवचनकार रहे। सूर्य दीपक का दृष्टांत सुनाते हुए उन्होंने कहा कि तीर्थंकर सूर्य होते हैं उनकी अनुपस्थिति में आचार्य दीप के रूप में अध्यात्मरूपी प्रकाश फैलाने का प्रयास करते हैं। साधु साध्वियों को व्याख्यान देने का कौशल होना चाहिए।साधु साध्वियां को उपासक होने के साथ व्याख्यान देने का भी अभ्यास करना चाहिए। श्रद्धा के क्षेत्र में व्याख्यान देकर आमजन को लाभान्वित किया जा सकता है। आचार्य ने कहा कि जैन रामायाण एक वैदष्यपूर्ण ग्रंथ है प्रवचन देने व सुनने वाले दोनों का उपकार होता है। प्रवचन में राग रागिनियों के जरिए गायन भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर साधना व ज्ञान की दृष्टि से आदर्श हैं। तेरापंथ में अंतिम निर्णय आचार्य का मान्य होता है। एक मई से आचार्य ने प्रात:कालीन वंदना का समय परिवर्तन करने के निर्देश दिए। मुनि ताराचंद ने साधु साध्वियों व श्रावक श्रावकिओं को संथारा पूरा होने तक बाजरे की रोटी खाने का प्रत्याखान कराया।

 
 
 

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