दीक्षा के 26 साल पूरे कर चुकीं मुक्तांजना श्रीजी का चातुर्मास इस बार शहर में महावीर बाग में चल रहा है। 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने दीक्षा ली थी, जिसके बाद से वे साध्वी जीवन बिता रही हैं। वे अब तक 50 हजार किमी से ज्यादा पैदल यात्रा कर चुकी हैं। वे जोधपुर, सूरत, अहमदाबाद, पाली व अन्य जगह चातुर्मास कर चुकी हैं। दीक्षा लेने के बाद उन्होंने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की। वह साध्वी वेश में ही परीक्षा देने जाती थीं। इसके बाद बीए सेकंड ईयर किया और कुछ कारण से बीच में पढ़ाई बंद करना पड़ी। लेकिन पढ़ने-लिखने की ललक आज भी उनके अंदर है, इसलिए वह अब जैन धर्म दर्शन की पढ़ाई कर रही हैं।
दो और साध्वियां सौम्यांजना श्रीजी व दर्शनांजना श्रीजी भी कर रहीं पढ़ाई
मुक्तांजना श्रीजी के मुताबिक उनके साथ सौम्यांजना श्रीजी और दर्शनांजना श्रीजी भी जैन दर्शन की पढ़ाई कर रही हैं। यह कोर्स तीन का वर्ष है। हाल ही में उन्होंने जैन धर्म दर्शन की परीक्षा दी है। उन्होंने कहा कि सांसारिक जीवन में डिग्रियां लेने के बाद परीक्षा खत्म हो जाती है, लेकिन संतों की धर्म ज्ञान अर्जन की परीक्षा सतत जारी रहती है।
साध्वी मुक्तांजना श्रीजी
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