
भौतिकता की चकाचौंध भरे माहौल में जहां युवा पीढ़ी डूबी हुई है वहीं ऐसे माहौल में सांसारिक सुखों का त्याग कर सारंगपुर की 19 वर्षीय चैताली पारख ने रति से विरक्ति की और, राग से वैराग्य की और अपने आत्म कल्याण के लिए संयम पद पर चल पड़ी है। जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजन श्रीसंघ बदनावर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आचार्य जिनर|सागरजी, आचार्य जितर|सागरजी, आचार्य चंद्रर|सागरसूरीजी, गौतम सागर आदि की निश्रा में दीक्षा हुई। आचार्यद्वय ने जब संयम मार्ग का प्रतीक ओछा दीक्षार्थी को दिया तो वह खुशी से नृत्य करने लगी। मानों संसार का परम सुख प्राप्त कर लिया हो। गुरुवार को दीक्षार्थी की महानिष्क्रमण यात्रा सुंदेचा निवास से शुरू हुई एवं जैसे ही दीक्षा स्थल पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने जयकारों से अगवानी की।
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